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लेखनी प्रतियोगिता -21-Apr-2022पापा की परी

सुधान्शु आज बहुत खुश था।क्यौकि उसके जीवन  को  आज एक अद्भुति   खुशी की अनुभूति हुई थी। उसकी पत्नी प्रिया ने एक कन्या को जन्म दिया था।


          सुधान्शु व प्रिया की शादी को अबतक दस बर्ष से अधिक होगये थे।  उन दौनौ की यह लव मैरिज थी। प्रिया के मम्मी पापा इस शादी के पक्ष में नही थे परन्तु  सुधान्शु के मम्मी पापा ने कभी विरोध नही किया था। वह हमेशा अपने बेटे को खुश देखना चाहते थे इसीलिए वह अपने बेटे की खुशी के लिए कुछ भी करने को तत्पर रहते थे।

        दौनौ ने अपने घर बेटी के आगमन पर  खूब खुशिया मनाई। सभी परिचितौ का मुंह मीठा करवाया। बेटी का नाम अल्पिता रखा।

    अल्पिता धीरे धीरे बडी़ होने लगी।  समय का पता ही नही चला  और अल्पिता शादी के योग्य होगयी।लेकिन सुधान्शु उसे अभी भी एक छोटी बच्ची की तरह ही समझता था। सुधान्शु की जान अल्पिता मे रहती थी।

         यदि अल्पिता को कालेज से घर पहुँचने में थोडी़ भी देर होजाती तब वह उसको बार बार फौन करके पूछता ," अल्पी तुम कहाँ हो इतनी देर कहाँ लगादी ।" इस तरह न जाने कितने प्रश्न पूछ लेता था।

        प्रिया सुधान्शु को समझाती थी कि अब वह बडी़ होगयी है अब वह दूध पीती  बच्ची नही है जिसके लिए आप इतनी चिन्ता करते रहते हो।कल को उसकी शादी भी करनी है ।जब वह अपनी ससुराल जायेगी तब आप कैसे रहोगे इसलिए अब उससे दूर रहने की आदत डाल लो।

         तब सुधान्शु प्रिया को समझाता था कि मै उसके लिए घर जमाई देखकर लाऊँगा। उसकी ससुराल व मायका यही होगा। वह कहीं नहीं जायेगी।

        इन बातौ को लेकर पति पत्नी दौनौ में नौक झौक होजाती और जब दौनौ रूठकर अलग अलग कमरौ मे बैठ जाते थे। जब अल्पिता घर आकर घर में शान्ति देखती तब उसे आभास होजाता कि आज दौनौ फिर से मेरे लिए ही झगडा़ करके बैठे है।

     अल्पिता ही दौनौ को एक करती और  दौनो की गोद में बैठकर उनको समझाती थी।

         कुछ समय बाद सुधान्शु ने अल्पिता की शादी एक पढे़लिखे सभ्य लड़के से करदी।  इसको पसन्द अल्पिता ने ही किया था क्योकि वह दौनौ प्यार करते थे । शुरू   में दौनौ पति पत्नी बहुत खुश थे। उन दौनौ को खुश देखकर   सुधान्शु भी बहुत खुश होता था।

          परन्तु बक्त बदलते भी देर नही लगती है क्यौकि सभी का बक्त हमेशा एक जैसा नही रहता है। यही अल्पिता के साथ हुआ था। अल्पिता का पति विवेक बुरी संगत में फस गया और शराब पीने लगा। 
        और एक समय ऐसा आया कि  विवेक के ऊपर नशा हाबी होगया वह घर पीकर आता और अल्पिता के साथ मार पीट तक करने लगा।

      जब इसकी खबर सुधान्शु को लगी तब उसने विवेक को खूब डाँटा जिससे विवेक  नाराज होगया। वह अल्पिता को लेकर दूर चलागया। अब सुधान्शु की जिन्दिगी में एक तरह दुःखौ का पहाड़ टूट पडा़ क्यौकि वह अपनी परी से आजतक एक पल के लिए दूर नही गया था और आज उससे वह बहुत दूर जाचुकी थी।

       विवेक ने अल्पिता को साफ कह दिया था कि वह पति व पापा में से एक का चुनाव करले। अल्पिता विवेक के इस तरह के वर्ताव केलिए तैयार नही थी परन्तु वह पति को छोड़कर कैसे जासकती थी।

      अन्त में उसे अपने पति  की बात माननी पडी़। सुधान्शु अपनी बेटी के बियोग में बीमार रहने लगा। उसकी बीमारी आखिरी स्टेज पर पहुँच गयी अब सुधान्शु केवल अल्पिता से मरने से पहले एकबार मिलना चाहता था।

    प्रिया ने अपनी बेटी को फौन करके कहा कि वह अपने पापा से एक बार मिल जाय क्योकि अब वह बहुत बीमार है और उनका बचना बहुत मुश्किल है।

       अल्पिता अपने पति विवेक को बिना बताये ही अपने पापा से मिलने चली आई । सुधान्शु ने अपनी बेटी को अपने पास बिठाया और खूब रोया  उसके मुँह से एक शब्द नही निकल रहा था । सुधान्शु उसके हाथ को अपने दौनौ हाथौ मे लेकर  रोते रोते ही हमेशा के लिए बहुत दूर चलागया।

   इस तरह  एक बाप अपनी परी को छोड़कर  चलागया।

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17 Comments

Shrishti pandey

23-Apr-2022 09:12 PM

Very nice

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Punam verma

22-Apr-2022 08:44 AM

Very nice

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Naresh Sharma "Pachauri"

22-Apr-2022 02:21 PM

धन्यवादजी

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Abhinav ji

22-Apr-2022 08:05 AM

Nice one

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Naresh Sharma "Pachauri"

22-Apr-2022 02:21 PM

धन्यवादजी

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